बुधवार, 12 जनवरी 2011

स्‍वामी विवेकानंद जयंती (राष्‍ट्रीय युवा दिवस) पर एक प्रेरक प्रसंग

आज भारत के युवाओ के पथ प्रदर्शक महान दार्शनिक व चिंतक स्‍वामी विवेकानंद की जयंती है, आज के दिन भारत मे राष्‍ट्रीय युवा दिवस के रूप मे मनाया जाता है। स्‍वामी जी बातें युवाओ मे जोश और उम्मीद की नयी किरण पैदा करती है। युवाओ मे आज के दौर मे जहाँ जिन्‍दगी खत्‍म होने जैसी लगती है वही स्‍वामी के साहित्‍यों के संगत मे आकर एक नयी रौशनी का एहसास होता है।सन्‌ 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन 'पार्लियामेंट ऑफ रिलीजन्स' में अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने 'बहनों और भाइयों' कहकर की। इस शुरुआत से ही सभी के मन में बदलाव हो गया, क्योंकि पश्चिम में सभी 'लेडीस एंड जेंटलमैन' कहकर शुरुआत करते हैं, किंतु उनके विचार सुनकर सभी विद्वान चकित हो गए।अमेरिका मे ही एक प्रसंग उनके साथ घटित होता है अक्‍सर हमारे साथ होता है कि विपत्ति के साथ माथे पर हाथ रख देते है किन्‍तु विवेकानंद जी की जीवन की घटानाऍं प्रेरक प्रसंग का काम करती है। प्रसंग यह था‍ कि
अमेरिका मे एक महिला ने उनसे शादी करने की इच्छा जताई, जब स्वामी विवेकानंद ने उस महिला से ये पूछा कि आप ने ऐसा ऐसा चाहती है ? उस महिला का उत्तर था कि वो स्‍वामी जी की बुद्धि से बहुत मोहित हैऔर उसे एक ऐसे ही बुद्धिमान बच्चे कि कामना है। इसलिए वह स्वामी से ये प्रश्न कि क्या वो उससे शादी कर सकते है और उसे अपने जैसा एक बच्चा दे सकते हैं? स्‍वामी जी ने महिला से कहा कि चूँकि वो सिर्फ उनकी बुद्धि पर मोहित हैं इसलिए कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा प्रिये महिला, मैं आपकी इच्छा को समझता हूँ, शादी करना और इस दुनिया में एक बच्चा लाना और फिर जानना कि वो बुद्धिमान है कि नहीं, इसमें बहुत समय लगेगा इसके अलावा ऐसा हो इसकी गारंटी भी नहीं है कि बच्‍चा बुद्धिमान ही हो इसके बजाय आपकी इच्छा को तुरंत पूरा करने हेतु मैं आपको एक उपयुक्‍त सुझाव दे सकता हूँ.। आप मुझे अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लें, इस प्रकार आप मेरी माँ बन जाएँगी और इस प्रकार मेरे जैसे बुद्धिमान बच्चा पाने की आपकी इच्छा भी पूर्ण हो जाएगी।
निश्चित रूप से स्‍वामी जी जैसे व्‍यक्तित्‍व के बताये मार्ग पर चलना जरूरी है, ताकि भारत की गौरवशाली परम्‍परा पर हम अनंत काल तक गौरवान्वित हो सके।

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